नागपंचमी का महत्व , विशेषता और परिचय
नागपंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवताओं की पूजा की जाती है। भारत के कई हिस्सों में नागों को धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक रूप से पूजनीय माना जाता है। यह पर्व विशेषकर उत्तर भारत, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गुजरात में श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है।
नागपंचमी का उद्देश्य सिर्फ नागों की पूजा करना नहीं, बल्कि प्रकृति और जीवों के साथ सह-अस्तित्व का आदर करना भी है। यह दिन मानव और सर्प जाति के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रतीक माना जाता है।
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नागपंचमी क्यों मनाई जाती है?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत के समय जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्प यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ से सभी नाग जाति का विनाश होने लगा। तभी आस्तिक ऋषि ने यज्ञ को रोका और नागों की रक्षा की। तभी से नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने की परंपरा शुरू हुई।
इसके अलावा भगवान शिव के गले में नागराज वासुकी का वास होने के कारण भी इस दिन नागों को पूजा जाता है।

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पूजा विधि (Pooja Vidhi)
1. प्रातः स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।
2. घर के मुख्य द्वार या आंगन में नाग देवता की चित्रकारी करें या नाग की मूर्ति रखें।
3. दूध, हल्दी, कुशा, अक्षत, फूल आदि से नाग देवता का पूजन करें।
4. दूध और शहद से नाग को स्नान कराकर उन्हें मीठा अर्पित करें।
5. नाग मंत्र या शिव मंत्रों का जाप करें –
“ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा”
या
“ॐ नमः नागाय”
6. इस दिन सांपों को दूध पिलाने की परंपरा भी है, लेकिन पर्यावरणविदों के अनुसार ऐसा करने से नुकसान हो सकता है, इसलिए इसकी बजाय मंदिर में दूध चढ़ाना बेहतर है।
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नागपंचमी पर क्या खाएं?
नागपंचमी पर भोजन सात्विक होता है। इस दिन कुछ खास व्यंजन बनाए और खाए जाते हैं:
पूड़ी और कद्दू की सब्जी
खीर और लापसी
चावल और मूंग की खिचड़ी
रसदार सेवईं
कई जगहों पर लड्डू, पान और दूध का विशेष महत्त्व है।
नागपंचमी पर तवे का प्रयोग वर्जित होता है। लोग मिट्टी या लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाना शुभ मानते हैं।
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नागपंचमी पर क्या पहनें?
महिलाएं इस दिन पीले, हरे या लाल रंग के पारंपरिक वस्त्र पहनती हैं।
साड़ी, सलवार सूट या लहंगा चोली पहना जाता है।
माथे पर बिंदी, कंगन और सिंदूर लगाना शुभ माना जाता है।
पुरुष धोती-कुर्ता या पारंपरिक कुर्ता-पायजामा पहनते हैं।
यह पहनावा पारंपरिक आस्था और संस्कृति को दर्शाता है।
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नागपंचमी की लोक परंपराएं
कुछ क्षेत्रों में नागों की मूर्ति बनाकर उन्हें खेतों में रखा जाता है ताकि फसल की रक्षा हो सके।
महाराष्ट्र में सुहागिन महिलाएं नागिन नृत्य करती हैं और भक्तिगीत गाती हैं।
झूला झूलने की परंपरा, खासकर बच्चों और युवतियों में लोकप्रिय होती है।
मंदिरों में विशेष पूजन और भंडारा होता है।
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पर्यावरण संरक्षण का संदेश
नागपंचमी सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि पर्यावरण संतुलन और जीवों की रक्षा का संदेश भी है। सर्प प्रकृति के लिए आवश्यक हैं – ये चूहों जैसे कीटों को नियंत्रित कर खेतों की रक्षा करते हैं। अतः इस दिन हमें यह भी संकल्प लेना चाहिए कि हम प्राकृतिक जीवों की हत्या न करें।
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नागपंचमी सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, यह प्रकृति और संस्कृति का अद्भुत संगम है। इस दिन नागों की पूजा कर हम उनके अस्तित्व को सम्मान देते हैं और खुद को प्राकृतिक चक्र के करीब लाते हैं। इस बार नागपंचमी को श्रद्धा, भक्ति और पर्यावरण चेतना के साथ मनाएं।